बेनाम शायर💌✍️
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मेरे पोस्ट्स📩 एक नशे की तरह है एक बार आदत पड़ गई तो बिना पढ़े 📖 रह पाना मुश्किल होगा इशारो इशारो में अपनी बातें रखने का दम रखता हूँ मैं शायर📝 तो नही हूँ जनाब मगर सीधा दिल💖 मे कदम रखता हूँ Interact @Nameless_Poet_bot @status_point @nature_is_calling
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सुनो पड़ोसन...
कड़क चाय के रंग जैसी रंगत है, तुम्हारे गालों की...जीवन की हर सुबह इनकी चुस्कियों के साथ दिन की शुरुआत करना चाहता हूं ।
@kataizaharila
❤ 5🥰 5
इस छल की माया नगरी में, मैं विपरीत दिशा में बहता हूं,
कोई कुछ भी सोचे परवाह नहीं, मैं अपनी धुन में रहता हूं..
@kataizaharila
👍 11
In english they say “overthinking”
But in poetry we say—-
तुम्हारे छोड़े हुए सवालों के जवाब ढूँढते ढूँढते जब थक जाते हैं
तो कहीं किसी कोने में दुबक कर छुप जाने की कोशिश करते हैं
फिर कोशिश नाकाम सी लगती है और तब हम तकिये से लिपट कर रोते हैं 🫂
@kataizaharila
😢 11❤ 6👍 1
यह तेरा हुस्न और ये अदाएं तेरी,
मर जाते हैं इन्हें देख मुहल्ले के सारे आशिक तेरे।
@kataizaharila
🥰 6❤ 1
एक उम्र लगती है जज़्बातों को अल्फ़ाज़ देने में,
फ़क़त दिल टूट जाने से कोई शायर नहीं बनता।
@kataizaharila
💯 13👍 5
मन करता है,
तुम्हे एक रोमांटिक सी रिस्पेक्ट दूँ...
तुम्हें "आप" कह के बुलाऊँ...
तुम्हारे आवाज देने पर "जी" का जबाव दूँ...
मन करता है,
सांझ ढले..साथ तुम्हारे..समुन्दर के किनारे...
डूबते सूरज पे बैठकर तुम्हें आसमानों की सैर कराऊँ...
मन करता है,
आसमान से चाँद तोड़कर, तेरे माथे पे टिका दूँ...
सितारों को तेरी जुल्फों में उलझा दूँ...
और रात को तेरी आँख का काजल बना दूँ...
मन करता है,
तेरे हर दर्द को अपना बना लूं...
तेरी आँख के हर आंसू को चुरा लूं...
तेरे होंठों पे मुस्कराहटों को सजा दूँ...
खुशियों को तेरे दर का पहरेदार बना दूँ...
मन करता है,
तुम्हें..
हां तुम्हें..
सिर्फ अपना बना लूं..।
@kataizaharila
👍 14
झुमका मेरा खो गया बाजार की भीड़ में ,
जैसे तू खो गया मेरी तक़दीर की लकीर में...❤️🌻
पड़ोसन की कलम से
@kataizaharila
💔 5👍 3
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तुम्हें देख के मैं लिखने लगा हूँ...
फाल्गुन के रंग में मैं रंगने लगा हूँ।
सतरंगी सपने संजोए ,मैं तुम्हारी चाहत में खिलने लगा हूँ...
मंजरी की खुश्बू से,मैं तुम में महकने लगा हूँ।
आरजू में समेटे अरमानों से मैं बहकने लगा हूँ..
मौन को भी अब मैं प्रिये!तुम्हारे समझने लगा हूँ।
@kataizaharila
❤ 7👍 2
कितना अच्छा हो
जो मैं उसका तकिया
बन जाऊँ
उसकी हर साँस
को महसूस कर पाऊँ
उसकी हंसी सुन पाऊँ
उसके अश्को को
समा लूँ खुद मैं
कभी उसकी बाहो में
महफूज हो जाऊं
कभी उसके होंठो की
नरमी को महसूस कर पाऊँ
कितना अच्छा हो…
कितना अच्छा हो
जो मैं हवा बन जाऊँ
जब भी मन करे
उसे अपनी गिरफ्त में
ले कर कस लूँ
जो कभी वो कांप जाए
उसे अपनी गर्माहट का
एहसास दे पाऊँ
जो कभी वो बेचैन
हो जाए
उसे शीतलता से
सराबोर कर पाऊं
कितना अच्छा हो…
कितना अच्छा हो
जो मैं एक दरख्त
हो जाऊं
मुझ पर बांधे
वो अपनी मन्नतो
का लाल धागा
कर ले आलिंगन मेरा
और मिल जाए मुझमे
जो हो जाए पूरी
उसकी हर आस
फिर आए वो
उस लाल धागे को
खोलने अपनी
उंगलियों से
कितना अच्छा हो..
कितना अच्छा हो
जो मैं एक मूरत बन जाऊँ
मुझमे ढूंढे वो अपने
इष्ट को
हर बार मेरे सजदे
में झुक जाए
रोज निहारे वो मुझे
रोज सँवारे मुझे
दूध ,दही रोज
मुझको भोग लगाएं
मेरी आँखों मे ढूंढे वो
अपने सारे जवाब
कितना अच्छा हो मैं
कृष्ण हो जाऊं
कितना अच्छा हो
वो मेरी बाँसुरी हो जाए ।
@kataizaharila
👍 11❤ 2
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होंठ उसके चेहरे पर कुछ यूँ नज़र आते हैं
जैसे दूध में तैरती दो पत्तियां गुलाब की
@kataizaharila
👍 6😁 2
अब, जबकि हम साथ नहीं है। मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ। वह सब कुछ जो साथ रहते हुए नहीं कह सका।
मैंने तुम्हे सबसे अधिक नहीं चाहा था। मैंने हमेशा तुम्हे सबसे अधिक चाहने की कल्पना की और हमेशा, हर बार आखिर में तुम दुखी थी। मैं तुम्हे केवल उतना ही चाह सका जितना एक लड़का, किसी लड़की को चाह सकता है।
मुझे पता होता था कि तुम दुखी हो। सच कहूँ, तो मैं तुम्हारे साथ, तुम्हारे पहलू में बैठकर, चाहता था कि तुम्हारा सिर अपनी बाँह पर टिकाकर कह सकूं कि सब ठीक हो जायेगा। लेकिन मैं नहीं कर सका। मुझे नहीं पता कि दुख कैसे बाँटते हैं... अपने दुखों में मैं हमेशा अकेले रहा था।
मैंने हमेशा चाहा कि तुम्हे जता सकूं कि मैं तुम्हे कितना प्रेम करता हूँ। लेकिन मैं, एक औसत लड़का, जिसे टाई बांधनी नहीं आती है, यह भी नहीं जानता था कि प्रेम कैसे जताते हैं। निष्ठुर होना मैंने चुना नहीं था लेकिन मैं था। मैं सीख रहा था, सब कुछ... प्रेम जताना भी लेकिन शायद मैंने देर से शुरू किया था, बहुत देर से।
अब, जबकि हम साथ नहीं है। मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि मैं, तुम्हारा छोड़ा गया प्रेमी, पुनः कभी प्रेम नहीं कर सकूंगा। तुम, मुझे छोड़ने वाली प्रेमिका, तुम पुनः प्रेम कर लेना... हो सके तो मुझसे ही। ❤
@kataizaharila
❤ 7
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सुनो पड़ोसन
तुम्हारे हाथों में मेरे नाम की एक रेखा है, जिसे प्रेमरेखा कहते हैं जिसका प्रसार और पूर्णन तुम्हारे मन की गति से होता है। अर्थात्, तुम्हारी ऊर्जा से ।
@kataizaharila
🥰 4👍 2
तुम मुझे पढ़ते हो रोज
पर क्या समझते भी हो उसे
अच्छा तुम समझते हो
पर क्या महसूस करते हो
अच्छा महसूस भी करते हो
पर क्या जुड़ पाते हो मुझसे
क्या मेरे एहसास तुम्हे बांधते है
क्या मेरे शब्द तुम्हारे भी जुबान से निकलते है
क्या तुम भी इन्हीं एहसासों से गुज़रती हो
क्या कभी किसी को खुद से जुड़ा पाती हो
हम दोनों अलग है जानता हूं
हमारी सोच भी अलग है
क्योंकि कोई भी दो इंसान कभी
एक जैसे नहीं हो सकते
तो क्या
एहसास तो एक हो सकते है
एहसासों से ही तो हम बंधे है
और बंधे है हम एक दर्द से
दर्द टूटने का
दर्द ठुकराए जाने का
और शायद अधूरे रह जाने का भी
कहीं तो कोई एक छोर होगा
इस धागे का
जिसे पकड़ कर तुम आ सको
मेरे करीब
या शायद मैं आ पाऊं
तुम्हारे पास
लेकिन वो छोर नहीं मिला कभी
ना तुम्हे और ना मुझे
शायद हम ढूंढना ही नहीं चाहते थे
या कहूं
हम बंधना ही नहीं चाहते थे
हां
हम सच में
जुड़ना ही नहीं चाहते थे
ना अभी और ना कभी
@kataizaharila
👍 8
तेरे अधरों के निशाँ अभी बाक़ी है
मेरी पेशानी पर…
कैसे मान लूँ तुम किसी और की हो
@kataizaharila
👍 3
नहीं मोहताज़ मेरा प्रेम इन प्रेम दिवस का..!
जहां तुम साथ हो वो हर दिन प्रेम दिवस है ❤️❤️
@kataizaharila
👍 6
तुम्हें प्रेम करना कोई विकल्प में किया गया फैसला नहीं है, तुम्हें प्रेम करना मेरा प्रेम पर विश्वास होने का सबूत है..❤️✍️
@kataizaharila
❤ 4👍 2
मेरे अल्फाज आपको खूबसूरत लगते हों तो सोचिए..
जिसे सोचकर मै लिखता हूं वो कितनी खूबसूरत होगी..❤️❤️
@kataizaharila
❤ 16👍 1
सुनो?! काश तुम मुझसे पूछती कि प्यार की विरासत में, तुम्हें क्या चाहिए.!
और हम तुम्हें गले लगाकर कहते तुम्हारे दिल की हर धड़कन पर मेरे प्रेम का अधिकार दे दो बस!!💘
@kataizaharila
👍 10❤ 1
किताबें पढ़ने का शौक हमेशा से रहा
पर लिखना मैं तुम्हारे प्रेम वश किया।हर दिन..हर पल तुमसे प्रेम इतना बढ़ता गया कि मैं एक व्याकरण की तरह तुम में छंद पिरोता गया।तुम्हारी खूबसूरती के कसीदे...मैं तुम्हारे सामने वर्णित न कर पाता था..इसलिये तुम्हें अक्सर किताबों में प्रेम पत्र लिख के देने लगा।तुम जब उन्हें पढ़ते हुए...मुस्कुराती थी तो मैं बस वह मुस्कान देख पिघल जाता था।
तुम्हारे वह खूबसूरत केश..जिनमें मैं उंगलियों को उलझाया करता था..
तुम्हारे चंचल नयन मानो हर वक्त कुछ कहते हो।
पड़ोसन ..❣️
बहुत याद आती हो तुम ..
आना कभी देखना मेरी हर किताब में आज भी तुम्हारी यादों में मैंने अनगिनत प्रेमपत्र रखे हैं।
@kataizaharila
❤ 7👍 6🔥 1
यादें
कब दिन बीता
कुछ याद नहीं
कब समय बीता
कुछ याद नहीं
पल-पल की यादों ने कब
मन में डेरा डाला
कुछ याद नहीं
दिन बीता
दोपहर ढली
शाम बीता रात चली
कब सपनों ने महफिल सजाया
कुछ याद नहीं
कब अपनों ने साथ निभाया
कब अपनों ने साथ छोड़ा
कौन मिला कौन बिछड़ गया
अब तो कुछ भी याद नहीं
बस यादों में हीं
यादों का समन्दर गहराया
इक टीस उठी दिल रो पड़ा
किसके लिए दिल रो पड़ा
ये भी अब याद नहीं।
@kataizaharila
👍 8❤ 1
